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देश में राजस्थान और तमिलनाडु ही दो राज्य हैं, जहां कोरोना की जांच के लिए 100 प्रतिशत टेस्ट सबसे विश्वसनीय पद्धति आरटी-पीसीआर से किए जा रहे हैं। sawaimadhopur news।

 





प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए  अधिक से अधिक जांचें की जाएं। जांच समय पर होने से संक्रमण का फैलाव रोकने में आसानी होती है और रोगी को समय रहते उपचार मिल जाता है। निजी अस्पतालों में भी सर्दी, खांसी, जुकाम (आईएलआई) जैसे लक्षणों वाले मरीजों की कोरोना जांच के लिए सैम्पल लेकर सरकारी जांच लैब में भेजे जा सकें, इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया निर्धारित की जाए। मेडिकल स्टोर संचालक भी दवा लेने आए आईएलआई लक्षणों वाले व्यक्ति को कोरोना जांच कराने के लिए प्रेरित करें।

 निवास पर कोविड-19 की समीक्षा बैठक को सम्बोधित किया। ऎसा देखा गया है कि अस्पतालों के कोविड आईसीयू में भर्ती 70 प्रतिशत मरीज ऎसे हैं, जिन्होंने कोरोना लक्षणों को नजरअंदाज किया और देरी से अस्पताल पहुंचे। हमारा प्रयास है कि राज्य में अधिक से अधिक जांचें कर संक्रमित व्यक्ति का सही समय पर पता लगाया जाए ताकि अन्य लोग संक्रमित होने से बचें। मोबाइल वैन के माध्यम से भी सैम्पल एकत्र करने के निर्देश दिए ताकि दूर-दराज के क्षेत्रों में आईएलआई लक्षण वाले मरीजों की जांच समय पर हो सके। 

अस्पताल प्रशासन भर्ती मरीजों को कोविड उपचार एवं हैल्थ प्रोटोकॉल की पालना से सम्बन्धित गाइडलाइन का पैम्पलेट उपलब्ध कराएं ताकि बीमारी से लड़ने के लिए वह बेहतर ढंग से तैयार हो सके। साथ ही डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को पोस्ट कोविड सावधाानियों से सम्बन्धित जानकारी वाला पैम्पलेट उपलब्ध कराएं। अस्पताल प्रशासन यह भी सुनिश्चित करें कि परिजन उचित दूरी एवं समस्त सावधानियों के साथ अस्पताल में भर्ती कोविड मरीज से मिलें।  

पिछले दिनों संक्रमण रोकने के लिए कुछ जिलों में लगाए गए रात्रिकालीन कर्फ्यू एवं विवाह समारोह में 100 से अधिक लोगों के एकत्रित होने पर प्रभावी रोक से सकारात्मक परिणाम आए हैं। अब सैम्पलिंग बढ़ाने के बावजूद पॉजिटिव केस की संख्या फिर घटने लगी है। राज्य सरकार के फैसलों की पालना आमजन ने स्वप्रेरणा से की है, यह अच्छा संकेत है। आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि सोशल डिस्टेसिंग एवं मास्क पहनने सहित अन्य हैल्थ प्रोटोकॉल की प्रभावी पालना हो। इसके लिए लोगों को लगातार जागरूक करते रहने की आवश्यकता है। जिला प्रशासन एवं संबंधित विभागों के समन्वय से ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रभावी ढंग से जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए।













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कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि इसके संक्रमण को किसी भी स्तर पर छिपाया नहीं जाए, क्योंकि इलाज में देरी से यह रोग घातक हो जाता है। जिन लोगों ने कोरोना वायरस के संक्रमण को छिपाने के लिए समय पर जांच और इलाज नहीं करवाया, उन्हें बाद में गंभीर बीमार होकर अस्पताल में इलाज कराना पड़ा है। 

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) अस्पताल, जयपुर में 70 बेड वाले नए कोविड आईसीयू, 6 जिलों में आरटी-पीसीआर टेस्ट लैब तथा मथुरादास माथुर अस्पताल, जोधपुर में अत्याधुनिक कैंसर उपचार वार्ड तथा अन्य चिकित्सा सुविधाओं के लोकार्पण समारोह को संबोधित किया। प्रदेश में निजी लैब में आरटी-पीसीआर जांच की दर 800 रूपये प्रति सैम्पल की जाएगी।

कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की अधिकाधिक जांच और समुचित इलाज के लिए पूरे राजस्थान में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया गया है और अब हर जिले में आरटी-पीसीआर जांच की सुविधा उपलब्ध है। टोंक, प्रतापगढ़, राजमसन्द के नाथद्वारा, जैसलमेर, हनुमानगढ़ और बूंदी में टेस्ट लैब का लोकार्पण खुशी की बात है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों में कोरोना की निशुल्क जांच के लिए लैब कार्यशील कर दी हैं। लोगों को बीमारी को छिपाने की बजाय समय पर जांच और इलाज करवाना चाहिए। 

हमारा लक्ष्य है कि कोरोना महामारी से लोगों का जीवन और आजीविका का बचाया जाए। इसके लिए सभी जनप्रतिनिधियों, संगठनों, संस्थाओं और व्यक्तियों से राजनैतिक मदभेदों को दूर रखकर सरकार के साथ खड़े होने तथा रचनात्मक सुझाव देने का आग्रह है। कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में शुरूआत से ही प्रदेश के हर वर्ग ने राज्य सरकार का भरपूर साथ दिया है, जिसके चलते हम राजस्थान में बेहतरीन प्रबंधन कर पाए हैं। 

देश में राजस्थान और तमिलनाडु ही दो राज्य हैं, जहां कोरोना की जांच के लिए 100 प्रतिशत टेस्ट सबसे विश्वसनीय पद्धति आरटी-पीसीआर से किए जा रहे हैं। सभी जिलों में निशुल्क सरकारी जांच व्यवस्था के साथ ही हमने निजी लैब और अस्पतालों में न्यूनतम दर पर आरटी-पीसीआर जांच की व्यवस्था उपलब्ध करवाई है। अब निजी लैब में आरटी-पीसीआर जांच की वर्तमान दर को 1200 रूपये से घटाकर 800 रूपये प्रति सैम्पल किया जाएगा। 

राज्य सरकार का ध्येय ‘निरोगी राजस्थान‘ बनाने का है, जिसके लिए अभियान शुरू किया गया था। इस बीच, मार्च माह में, कोरोना संक्रमण फैल गया, लेकिन अब इस अभियान को फिर से आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में स्वास्थ्य मित्रों का भी चयन किया गया है, जिनका निरोगी राजस्थान अभियान में सहयोग लिया जाएगा। सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक आदर्श सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) विकसित करने की योजना भी तैयार की गई है।


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