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राजस्थान : पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट की जनसुनवाई में कोरोना एडवाईजरी की नही हुई पालना

फिर मेले,बाजार,धार्मिक स्थल,स्कूल-कॉलेज और ट्रेनें क्यों बन्द है ?


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पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट की जनसुनवाई में कोरोना एडवाईजरी की नही हुई पालना
- न मास्क,न सोशल डिस्टेंस
- केवल आम आदमी पिसता है नियमों की चक्की में
- आपदा/महामारी अधिनियम की धारा 188,269,270 की नही किसी को कोई परवाह
टोंक/राजस्थान । राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और टोंक विधायक सचिन पायलट ने टोंक स्थित अपने  निवास जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया।  जिसमें खुद विधायक और लोगों की भीड़ ने कोरोना से बचाव की एडवाइजरी और कानूनों की पालना नहीं की । लोग स्वागत में ऐसे मशगूल हुए की विश्वव्यापी महामारी से मुक्ति पाने की कोई परवाह नहीं की ।

ना मास्क, ना आपसी दूरी का ध्यान रखा । प्रभावशाली और जिम्मेदार लोगों के द्वारा आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों से लोगों में हताशा है । चर्चाएं है कि पालना करवाने वाले ही नियमों की पालना नहीं करेंगे तो कैसे भला आम आदमी क्यों नियमों की पालना करें ? जन चर्चाएं भी है कि अगर अब इस बीमारी को इतना हल्का लिया जा रहा है तो फिर धार्मिक स्थल मंदिर,बाजार सहित लोगों के जन जीवन से जुड़ी हुई मूलभूत सुविधाओं में यातायात के साधन,ट्रेने, और बच्चों की शिक्षा से जुड़े हुए स्कूल कॉलेज क्यों बंद किए हुए ?

इस स्वागत प्रोग्राम में न प्रशासन की परवाह की और न ही लोगों के स्वास्थ्य की । क्या यह सब जिला प्रशासन द्वारा रोके जाने के दायरे में नहीं आते या इस तरह की चीजों को लेकर जिला प्रशासन बेपरवाह है ? या डर लगता है ? आप देख रहें है एक तरफ इस तरह की तस्वीर है तो दूसरी तरफ जिला प्रशासन ने बाजार में  व्यापारियों को टाइम से टाइम प्रतिष्ठान बंद रखने,मास्क और दूरी का ध्यान रखने सहित कई सख्त पाबंदियां की हुई है । वहीं मोटरसाइकिल और कार में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना ना होने पर जुर्माना लगाते हैं ।

अगर यही सब रहा तो हमें किस प्रकार कोरोना जैसी महामारी से मुक्ति मिल पाएगी  ? या इस बीमारी को खुद जनप्रतिनिधि वर्षों तक पब्लिक के सिर पर लादे रखना चाहते । अगर इस तरह प्रभावशाली लोगों द्वारा नियमों की पालना नहीं करने से कोरोना के संक्रमण का खतरा नहीं है तो फिर आम लोगों द्वारा भी पालना नहीं करने से आखिर संक्रमण क्यों बढ़ सकता ? इस तरह की यह कोई पहली तस्वीर नहीं है इससे पहले भी ऐसे कई तस्वीरें हमने प्रकाशित की है । हाल ही में सवाई माधोपुर में भी भाजपा के प्रदेश मंत्री के निवास पर ऐसा ही कार्यक्रम हुआ था ।

अगर इस प्रकार होता है तो यह निश्चित तौर पर एक आम आदमी के साथ न्याय संगत नहीं लगता । भले ही प्रभावहीन आम आदमी हर चीज को मानता है । वो भी बहुत आसानी से मानता है । इसमें ही आम आदमी देश का हित समझता है । लेकिन इस तरीके से जागरूक और बड़े पदों पर बैठे हुए लोग कानून नियम और प्रशासनिक आदेशों की धज्जियां उड़ा देंगे तो आखिर आम आदमी को कैसे भरोसा रहेगा इन कानून नियम और आदेशों में , ऐसे में एक बार प्रशासन को गंभीरता से विचार कर सबके साथ समान व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए ।

क्या धारा 188,269,270
भारतीय दंड संहिता  की धारा 188क्या है :-
धारा 188 कहती है की  यदि  कोई  जान-बूझ कर किसी  के जीवन, स्वास्थ्य, सुरक्षा से खिलवाड़ करता है या बल्वा या दंगा कारित करता है ,  तो  उसे कम से कम  6  महीने की जेल और एक हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है, या दोनों से, दंडित किया जा सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 269 :-
भारतीय दंड संहिता की धारा 269 के अनुसार, जो कोई विधि विरुद्ध रूप से या उपेक्षा से ऐसा कोई कार्य करेगा, जिससे कि और जिससे वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि, किसी व्यक्ति  के  जीवन  को  संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना संभाव्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 6  मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जा सकता है  ।

भारतीय दंड संहिता की धारा 270:-
भारतीय दंड संहिता की धारा 270 के अनुसार, जो कोई परिद्वेष (Malignantly) से ऐसा कोई कार्य करेगा जिससे कि, और जिससे वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि, जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोक का संक्रमण फैलना संभाव्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जा सकता है  ।
- मुकेश भूप्रेमी

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