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बेहतर अर्थव्यवस्था और नागरिकों के रोजगार के लिए कुछ नया करना पड़े तो, उसे करना चाहिए। हमने मनरेगा के मध्यप्रदेश में बेहतर उपयोग किया।


#AatmaNirbharMP के रोडमैप को लेकर अर्थव्यवस्था एवं रोजगार पर आयोजित वेबिनार में श्री जयंत सिन्हा, नीति आयोग के सदस्यों एवं विषय विशेषज्ञों के साथ भाग लिया। #COVID19 काल में हमने देखा कि यदि अर्थव्यवस्था का पहिया रुक जाए, तो चारों ओर हाहाकार मच जाता है।



मध्यप्रदेश को भी काफी नुकसान हुआ लेकिन हमने तय किया कि जनता की भलाई के कार्य नहीं रुकेंगे। हमें सुनिश्चित करना है कि नागरिकों की आजीविका कैसे सुरक्षित रहे। मैं मानता हूं कि जरूरी चीजों के लिए उधार लेकर उसकी पूर्ति की जाये, तो वह उचित है। बेहतर अर्थव्यवस्था और नागरिकों के रोजगार के लिए कुछ नया करना पड़े तो, उसे करना चाहिए। हमने मनरेगा के मध्यप्रदेश में बेहतर उपयोग किया। हमें पूंजी की उपलब्धता को बढ़ाने पर भी कार्य करना है। मुझे लगता है कि बच्चों को शिक्षा लेने के साथ ही काम करना भी सीखना चाहिए। हमने मध्यप्रदेश वापस आये श्रमिकों की स्किल मैपिंग की और #रोजगार_सेतु बनाया। हमारे प्रदेश के हर क्षेत्र की कुछ न कुछ विशेषताएं हैं। महेश्वरी, चंदेरी साड़ियां विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। मालवा फेस नामक ब्रांड हमने बनाया और संतरे बाहर भेजे, तो उसका बहुत बढ़िया दाम मिला। ऐसे प्रयासों के लिए विचार होना चाहिए। महिला स्वसहायता समूहों ने प्रदेश को बड़ी ताकत दी। पोषण आहार से लेकर पीपीई किट, सैनिटाइजर बनाने का अद्भुत काम किया। मेरी बहनें चमत्कार कर सकती हैं। इनकों हम सशक्त बनाएं, ये प्रदेश और देश को सशक्त बनाने का काम स्वयं कर देंगी। हम चाहते हैं कि प्रदेश के गाँव स्वावलंबी बनें। गाँव की ज़रूरत गाँव में ही पूरी हो, इसके लिए कदम उठाने होंगे। हमने मध्यप्रदेश में श्रम कानूनों में सुधार किए हैं।


श्री जयंत सिन्हा जी के अमूल्य विचार :
कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में जो प्रगति शिवराज जी के नेतृत्व में हुई है, अन्य राज्य उससे प्रेरणा लेते हैं। जिस प्रकार सिंचाई की व्यवस्था मध्यप्रदेश में हुई है, और किसान समृद्ध हुए हैं, वह अनुकरणीय है। हमें अपने भाग्य को अपने आप बनाना है। हमारे पास सभी तरह के साधन उपलब्ध होना चाहिए। इसी को आत्मनिर्भरता कहा जाता है।  हमें देश के नज़रिए से नहीं ग्लोबल लेवल पर कंपीटिटिव बनना है। प्रदेश और देश की कम्पनियां वैश्विक कम्पनियों से प्रतिस्पर्धा कर सकें। इनके उत्पाद ग्लोबल स्टैंडर्ड के हों, तो हम तेजी से आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।

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