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कोरोना वायरस की वैक्सीन क्यों नहीं बनने देना चाहते हैं ये लोग? / Sawai madhopur News24

कोरोना वायरस के मामले जैसे जैसे बढ़ते जा रहे हैं, इसकी दवा और वैक्सीन की खोज भी तेज होती जा रही है. वर्तमान में कोरोना की वैक्सीन को लेकर 100 से भी ज्यादा शोध हो रहे हैं और इस साल कम से कम 20 मानव परीक्षण किए जाने की संभावना है. एक तरफ जहां दुनियाभर में वैक्सीन आने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है, वहीं कुछ लोग इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं.


पूरी दुनिया लॉकडाउन खोलने की तरफ है, ऐसे में वैक्सीन की सख्त जरूरत महसूस हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक माइक रेयान ने 13 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'कोरोना वायरस को खत्म करने की सबसे बड़ी उम्मीद सिर्फ एक अत्यधिक प्रभावी वैक्सीन है.' लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के सख्त खिलाफ हैं. ये लोग नहीं चाहते हैं कि कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन बने.


अमेरिकी वेबसाइट बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के अनुसार कुछ आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के करीब 10 फीसदी लोग बिना वैक्सीन के सहारे इस महामारी से बाहर निकलने के लिए तैयार हैं. यह लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए बिना वैक्सीन लिए शरीर में हर्ड इम्युनिटी बनाना चाहते हैं. हर्ड इम्युनिटी बनने में चार से पांच साल लग सकते हैं. हर्ड इम्यूनिटी बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों के आस-पास रहने से बनती है.


हालांकि, वैक्सीन के बिना हर्ड इम्यूनिटी का प्रयोग करने से लाखों जानें जा सकती हैं. अमेरिका की मिशीगन यूनिवर्सिटी के महामारी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर एमिली टोथ मार्टिन ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए हर्ड इम्यूनिटी बनाने का सबसे सुरक्षित तरीका सिर्फ प्रभावी वैक्सीन ही हो सकती है.


प्रोफेसर एमिली ने कहा कि वैक्सीन की जरूरत सिर्फ अभी के संकट के लिए ही नहीं है. अगर यह वायरस हमारे आस-पास हमेशा के लिए रह गया तो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह वैक्सीन उतनी ही जरूरी होगी.


जहां पूरी दुनिया कोरोना के वैक्सीन पर उम्मीदें लगाए बैठी है, वहीं वैक्सीन का विरोध करने वालों के अपने तर्क हैं. इन लोगों का कहना है कि वैक्सीन बीमारियों पर काम नहीं करती बल्कि लोगों को और बीमार बना देती है और यह बड़े स्तर पर सरकारी योजना का एक हिस्सा है. अमेरिका में वैक्सीन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे इन लोगों का कहना है कि वैक्सीन लगवाने का विकल्प पूरी तरह से लोगों पर छोड़ देना चाहिए.


अमेरिका में वैक्सीन को अनिवार्य बनाने के खिलाफ एक ऑनलाइन याचिका भी दायर की गई है जिस पर 14 मई तक 376,000 लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं. याचिका में इस अनिवार्यता को व्यक्तिगत आजादी के खिलाफ बताया गया है.


कुछ बड़े सेलिब्रिटीज भी कोरोना की वैक्सीन का विरोध कर चुके हैं. ब्रिटिश गायिका और रैपर M.I.A. ने मार्च में एक ट्वीट कर कहा था कि वह कोरोनो वायरस की वैक्सीन लगवाने के बजाय मरना पसंद करेंगी. इंस्टाग्राम इंफ्लूएंसर कार्मेला रोज ने हाल ही में एंटी वैक्सीन की एक स्टोरी शेयर की थी हालांकि बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दिया था.


टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच और गायक लौरेन जौरेगुई जैसे अन्य सेलिब्रिटीज भी वैक्सीन विरोधी संदेशों को बढ़ावा दे चुके हैं. ये लोग वैक्सीन को अनिवार्य बनाने के खिलाफ हैं.


हालांकि वैक्सीन का विरोध करने वाले इन लोगों की संख्या काफी कम है. CivicScience द्वारा किए गए एक सर्वे में अमेरिका के 2,900 में से 69 फीसदी लोग कोरोना वायरस की वैक्सीन आने पर लगवाने के पक्ष में हैं जबकि सिर्फ 14 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं.


तमाम विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक कोरोना की प्रभावी वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक यह हमारे साथ ही रहेगा. तब तक कमजोर इम्यूनिटी वालों, बुजुर्गों, अत्यधिक मोटे और पहले के किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.

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